देवउठनी एकादशी साल की सबसे बड़ी एकादशी मानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से योग निद्रा में गए भगवान विष्णु कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुन: जागृत अवस्था में आ जाते हैं। इसलिए इस एकादशी दो देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी के बाद से ही मांगलिक कार्यों की फिर से शुरुआत हो जाती है। चलिए आपको बताते हैं देव उठनी एकादशी पर भगवान को जगाने के लिए कौन सा गीत गाया जाता है।
देवउठनी एकादशी गीत (Dev Uthani Ekadashi Geet)
उठो देव बैठो देव
हाथ-पाँव फटकारो देव
उँगलियाँ चटकाओ देव
सिंघाड़े का भोग लगाओ देव
गन्ने का भोग लगाओ देव
सब चीजों का भोग लगाओ देव ॥
उठो देव बैठो देव
उठो देव, बैठो देव
देव उठेंगे कातक मोस
नयी टोकरी, नयी कपास
ज़ारे मूसे गोवल जा
गोवल जाके, दाब कटा
दाब कटाके, बोण बटा
बोण बटाके, खाट बुना
खाट बुनाके, दोवन दे
दोवन देके दरी बिछा
दरी बिछाके लोट लगा
लोट लगाके मोटों हो, झोटो हो
गोरी गाय, कपला गाय
जाको दूध, महापन होए,
सहापन होएI
जितनी अम्बर, तारिइयो
इतनी या घर गावनियो
जितने जंगल सीख सलाई
इतनी या घर बहुअन आई
जितने जंगल हीसा रोड़े
जितने जंगल झाऊ झुंड
इतने याघर जन्मो पूत
ओले क़ोले, धरे चपेटा
ओले क़ोले, धरे अनार
ओले क़ोले, धरे मंजीरा
उठो देव बैठो देव
उठो देव जागो देव गीत लिरिक्स (Utho Dev Jago Dev Geet Lyrics)
उठो देव बैठो देव, पाटकल्ली चटकाओ देव,
आषाढ़ में सोए देव, कार्तिक में जागो देव।।
कोरा कलशा मीठा पानी, उठो देव पियो पानी,
हाथ पैर चटकाओ देव, पूड़ी हलुआ खाओ देव।।
क्वारों के ब्याह कराओ, ब्याहों के गौना कराओ,
तुम पर फूल चढ़ाये देव, घी का दिया जलायें देव।।
आओ देव पधारो देव, तुमको हम मनायें देव।।
ओने कोने रखे अनार, ये हैं किशन तुम्हारे यार,
जितनी खूंटी टांगू सूट, उतने इस घर जन्में पूत।।
जितनी इस घर सीख सलाई, उतनी इस घर बहुएं आई।।
जितने इस घर इंट ओ रोड़े, उतने इन घर हाथी घोडे।।
गन्ने का भोग लगायो देव, दूध का भोग लगाओ देवं।।
धान, सिंघाड़े, बेर, गाजरें, सब का भोग लगाओ देव,
बेगन का भोग लगायो देव, पूए का का भोग लगाओ देव।।
चने की भाजी खाओ देव,
आज हमारे घर से आओ देव।।
जो मन भाये खाओ देव,
क्वारों का घर बसवाओ देव