वैशाख मास की अमावस्या पितरों की कृपा पाने के लिए अत्यंत खास होती है. इस दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए तर्पण और पिंडदान किए जाते हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं कि वैशाख अमावस्या कब है? शुभ मुहूर्त और पूजन के लिए विधि क्या है
सनातन धर्म में अमावस्या तिथि को पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से शुभ माना गया है. इस दिन सुबह स्नान के बाद पितरों को जल अर्पित करना चाहिए. साथ ही, जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान करना पुण्यदायक माना गया है. धार्मिक मान्यता है कि अमावस्या पर इन उपायों को करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि वैशाख मास की अमावस्या कब है, पूजन के लिए शुभ मुहूर्त, विधि और खास उपाय क्या है

वैशाख अमावस्या 2025 की तिथि और समय
अमावस्या तिथि प्रारंभ- 27 अप्रैल 2025 को सुबह 04:49 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त: 28 अप्रैल 2025 को रात 01:00 बजे
वैशाख अमावस्या के प्रमुख मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:17 से 05:00 तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:31 से 03:23 तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 06:53 से 07:14 तक
निशीथ मुहूर्त- रात 11:57 से 12:40 तक
वैशाख अमावस्या पूजा विधि
वैशाख अमावस्या के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें. इसके बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनकर पितरों को तांबे के लोटे से जल अर्पित करें. इसके बाद दीपक जलाकर भगवान विष्णु का पूजन करें. पूजन के बाद जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े और तिल का दान करें. साथ ही पितृ तर्पण और पिंडदान करें. पितृ मंत्र का जप करें. पूजन के अंत में जीवन में शांति और समृद्धि हेतु प्रभु से प्रार्थना करें.
वैशाख अमावस्या के विशेष उपाय
पितृ शांति के लिए- जल में काले तिल डालकर शिवलिंग का अभिषेक करें और दीपक जलाकर आरती करें. इससे महादेव और पितृ दोनों प्रसन्न होते हैं और कार्यों में आ रही रुकावटें दूर होती हैं.
शनि दोष निवारण- अगर कुंडली में शनि दोष हो, तो इस दिन काले तिल का दान करें. यह उपाय अशुभ प्रभाव को शांत करता है और जीवन में स्थिरता लाता है.