2024 Pashupati Nath : पशुपतिनाथ व्रत भगवान भोले शंकर शिव जी को समर्पित है जब आप बहुत सारी परेशानियों से दिक्कत हो उसे गिरे हो और उन परेशानियों का आपको कोई निवारण भोज नहीं रहा हो और आप अपनी परेशानियां किसी को बता भी नहीं पा रहे हो तभी अब रात अपनी मनोकामना पूर्ण अवश्य करेगा अतः पशुपति व्रत को भगवान शंकर का पूर्ण विश्वास रखकर ही करें
पशुपति व्रत के नियम एवं विधि ..
पशुपति नाथ व्रत कब .
.पशुपति व्रत को किसी भी महीने के सोमवार चाहे वह कृष्ण पक्ष को अथवा शुक्ल पक्ष प्रारंभ कर सकते हैं शास्त्रों के अनुसार इस व्रत तो करने के लिए किसी विशेष महीने का होना अनिवार्य नहीं है केवल सोमवार का दिन होना आवश्यक है
पशुपति व्रत केकितने सोमवार करना चाहिए ….
इस व्रत को पांच सोमवार करने का विधान है वैसे तो आपकी मनोकामना पांचवा सोमवार आने से पूर्व पूर्ण हो जाती अगर आप फिर से व्रत करने की सोच रहे हैं तो एक सोमवार छोड़कर व्रत करना प्रारंभ कर सकते हैं
पशुपति व्रत विधि ..
आप पशुपति व्रत जी सोमवार से करना प्रारंभ कर रहे हो सोमवार को स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर पास सोमवार व्रत करने का सलप ले फिर आप अपने आसपास के शिवालय मंदिर जाए अपनी पूजा के थाली में धूप दीप चंदन लाल चंदन बिल्व पत्र पर जल ले जाएं और शिव भगवान का अभिषेक करें इस थाली को घर आकर ऐसे ही रख दे जवाब सारे के समय प्रदाश्त कल में स्वच्छ होकर मंदिर जाए तो इसी थाली में मीठा प्रसाद एवं 6 दिए दीपक ग्रंथ के लेकर जाए मीठे भोग प्रसाद को बराबर 3 भाग में बैटल दो भाग भगवान शिव को समर्पित करें बचा हुआ एक भाग अपने थाने में रख ले इसी प्रकार आप जो 6 दिए लाए हैं उनमें से पास दिया भगवान शिव के सम्मुख प्रज्वलित कर रहे हैं बिना जल बचा हुआ दिया अपने थाली में रखकर घरवापस ले आए इस घर में प्रवेश होने से पहले अपने घर के मुख्य द्वार के दाहिनी और चौखट पर रख कर जला दे घर में प्रवेश करने के बाद एक भाग भोग प्रसाद को आप ग्रहण करें इस प्रसाद को किसी और व्यक्ति को ना दे इस व्रत में आप प्रसाद के साथ भोजन में ग्रहण कर सकते हैं हो सके तो मीठा भोजन ही करें
पशुपति व्रत के नियम ..
जैसा कि शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक व्रत के अपने कुछ नियम होते हैं वैसे इस व्रत के भी कुछ नियम है जो इस प्रकार है इस व्रत को सोमवार के दिन ही किया जाता है इस व्रत में सुबह और शाम प्रदोष काल में मंदिर जाना अनिवार्य किसी कारण आप व्रत करने में असमर्थ है तो उसे सोमवार को व्रत नहीं करना चाहिए आप जिस मंदिर शिवालय में प्रथम सोमवार को गए हैं इस मंदिर में 500 सोमवार जाए साइन के समय प्रदेश कल में पूजा का बहुत महत्व व्रत करने वालों को दिन में सोना नहीं चाहिए भगवान शंकर का ध्यान करते रहना चाहिए इस व्रत में आप दिन में फरार भी कर सकते हैं यदि आप दोबारा व्रत करना चाहते हैं तो एक सोमवार छोड़कर व्रत प्रारंभ कर सकते हैं व्रत के दौरान श्रद्धा अनुसार दान भी करें
पशुपति व्रत उद्यापन विधि ….
पशुपति व्रत को चार सोमवार तक दी गई विधि से पूजा अर्चना का जब पांचवा सोमवार हो उसको जब आप चाय का प्रोडक्ट्स कल के समय मंदिर जाए तब अपनी पूजा की थाली में भोग प्रसाद दिया के साथ एक नारियल जिस पर 5 – 7 बार मौली लपेटी हुई हो उसे भी ले जाए इसको भगवान शिव को चढ़ा दें हो सके तो 108 बिल वह पत्र यह 108 पुष्पों से भोलेनाथ का सिंगर करें अपने श्रद्धा अनुसार दान करें