सनातन धर्म के लोगों के लिए पापांकुशा एकादशी का विशेष महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन व्रत रखना और भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को विशेष फल की प्राप्ति होती है। व्यक्ति जाने-अनजाने में किए गए पापों से भी मुक्त हो जाता है।
कैलेंडर के अनुसार भगवान विष्णु को समर्पित पापांकुशा एकादशी का त्योहार हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन मनाया जाता है। आइए जानते हैं मनोकामना पूर्ति के व्रत पापांकुशा एकादशी की पूजा की सही तिथि, शुभ समय और विधि |
पापांकुशा एकादशी कब है?
आश्विन माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ: 13 अक्टूबर, प्रातः 09:08 मिनट से
आश्विन माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का समापन: 14 अक्टूबर, प्रातः 06:41 मिनट पर
सूर्योदय की तिथि के अनुसार, सनातन धर्म के लोग 13 अक्टूबर 2024 को पापांकुशा एकादशी व्रत रखा जाएगा।
पापांकुशा एकादशी का शुभ मुहूर्त
सूर्योदय का समय- प्रात: काल 06:21 मिनट तक
सूर्यास्त का समय- सायं 05:53 मिनट पर
चंद्रोदय का समय- दोपहर 03:20 मिनट पर
चन्द्रास्त का समय- 14 अक्टूबर को रात 02:33 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त- प्रात 04:41 मिनट से लेकर प्रातः 05:31 मिनट तक
विजय मुहूर्त- दोपहर में 02:02 मिनट से लेकर 02:49 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त- सायं 05:53 मिनट से लेकर सायं 06:18 मिनट तक
निशिता मुहूर्त- देर रात 11:42 मिनट से लेकर सुबह 12:32 मिनट तक
पापाकुंशा एकादशी की पूजा विधि
- एकादशी तिथि के दिन सुबह जल्दी उठें।
- स्नान आदि कार्य करने से बाद व्रत का संकल्प लें।
- घर के मंदिर में घटस्थापना करें। चौकी के ऊपर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें।
- भगवान विष्णु को फल, फूल, मिठाई और दीप-धूप का भोग लगाएं। इस दौरान विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
- अंत में आरती करके पूजा का समापन करें।
- दिन खत्म होने से पहले जरूरतमंद लोगों को दान जरूर दें |
पापाकुंशा एकादशी का महत्व
पापाकुंशा एकादशी व्रत के समान अन्य कोई व्रत नहीं है। इस एकादशी में भगवान पद्मनाभ का पूजन और अर्चना की जाती है, जिससे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। पापाकुंशा एकादशी हजार अश्वमेघ और सौ सूर्ययज्ञ करने के समान फल प्रदान करने वाली होती है।पदम् पुराण के अनुसार जो व्यक्ति इस दिन श्रद्धा पूर्वक सुवर्ण,तिल,भूमि,गौ,अन्न,जल,जूते और छाते का दान करता है,उसे यमराज के दर्शन नही होते। इसके अतिरिक्त जो व्यक्ति इस एकादशी की रात्रि में जागरण करता है वह स्वर्ग का भागी बनता है। इस एकादशी के दिन दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है