एकादशी का व्रत सभी व्रतों में सर्वोच्च माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही उसे सभी पापों से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं साल 2025 में एकादशी व्रत की पूरी लिस्ट

व्रत करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति सच्ची श्राद्धा और भक्ति से इस व्रत को करते हैं उसकी सभी परेशानियों से उसे छुटकारा मिलता है। साल भर में आने वाली सभी एकादशियों का फल अलग-अलग मिलता है। सालभर में कुल 24 एकादशी आती हैं। हर महीने एक कृष्ण पक्ष की एकादशी और दूसरी शुक्ल पक्ष की एकादशी आती है। इसी के साथ कुल एकादशी की संख्या सालभर में 24 होती है। आइए जानते हैं
2025 एकादशी
पौत्रदा एकादशी\ पौष पूर्णिमा एकादशी : 10 जनवरी 2025
षटतिला एकादशी व्रत 25 जनवरी 2025
फरवरी 2025 एकादशी व्रत
जया एकादशी 8 फरवरी 2025 शनिवार
विजया एकादशी 24 फरवरी 2025 सोमवार
मार्च 2025 एकादशी व्रत
आमलकी एकादशी व्रत 10 मार्च 2025, सोमवार
पोपमोचनी एकादशी व्रत 25 मार्च 2025 मंगलवार
अप्रैल 2025 एकादशी व्रत
कामदा एकादशी व्रत 8 अप्रैल 2025 मंगलवार
वरुथिनी एकादशी व्रत 24 अप्रैल 2025, गुरुवार
मई 2025 एकादशी व्रत
मोहिनी एकादशी व्रत 8 मई 2025 गुरुवार
अपरा एकादशी व्रत 23 मई 2025, शुक्रवार
जून 2025 एकादशी व्रत
निर्जला एकादशी व्रत 6 जून 2025 शुक्रवार
योगिनी एकादशी व्रत 21 जून 2025 शनिवार
जुलाई 2025 एकादशी व्रत
देवशयनी एकादशी व्रत 06 जुलाई 2025, रविवार
कामिका एकादशी व्रत 21 जुलाई 2025, सोमवार
अगस्त 2025 एकादशी व्रत
श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत 05 अगस्त 2025, मंगलवार
अजा एकादशी व्रत 19 अगस्त 2025, मंगलवार
सितंबर 2025 एकादशी व्रत
परिवर्तिनी एकादशी व्रत 03 सितंबर 2025, बुधवार
इंदिरा एकादशी व्रत 17 सितंबर 2025, बुधवार
अक्टूबर 2025 एकादशी व्रत
पापांकुशा एकादशी व्रत 03 अक्टूबर 2025, शुक्रवार
राम एकादशी व्रत 17 अक्टूबर 2025, शुक्रवार
नवंबर 2025 एकादशी व्रत
देवुत्थान एकादशी व्रत 02 नवंबर 2025, रविवार
उत्पन्ना एकादशी व्रत 15 नवंबर 2025, शनिवार
दिसंबर 2025 एकादशी व्रत
मोक्षदा एकादशी व्रत 01 दिसंबर 2025, सोमवार
स्फल एकादशी व्रत 15 दिसंबर 2025, सोमवार
पौष पूर्णिमा एकादशी व्रत 30 दिसम्बर 2025, मंगलवार
एकादशी व्रत का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति सालभर सभी एकादशी का व्रत करता है और व्रत के नियमों का अच्छे से पालन करता है। उसे बैकुंठ में स्थान मिलता है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित हैं। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा करने से व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति इस जीवन में संतान सुख, धन संपत्ति का लाभ लेने के साथ ही मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। कहा जाता है कि एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है। इसलिए एकादशी व्रत को बाकी सभी व्रतों में सर्वोच्च कहा गया है।