ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना और ज़रूरतमंदों को दान देना बेहद फलदायक माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन किए गए पुण्य कर्म जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लेकर आते हैं
हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है, और जब बात ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा की हो, तो इसका पुण्य कई गुना बढ़ जाता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना और ज़रूरतमंदों को दान देना बेहद फलदायक माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन किए गए पुण्य कर्म जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लेकर आते हैं। खासतौर पर महिलाएं इस दिन वट वृक्ष की पूजा करती हैं पेड़ के चारों ओर कच्चा धागा लपेटकर व्रत रखती हैं, इसी परंपरा के कारण इस दिन को वट पूर्णिमा या वट सावित्री पूर्णिमा भी कहा जाता है

ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 कब है?
इस साल ज्येष्ठ पूर्णिमा 11 जून 2025 को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि 10 जून को सुबह 11:35 बजे शुरू होकर 11 जून को दोपहर 1:13 बजे समाप्त होगी। अतः व्रत और पूजा 11 जून को करना उत्तम रहेगा।
ज्येष्ठ पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
कहा जाता है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर चंद्रमा की पूजा करने से चंद्र दोष शांति मिलती है। अगर किसी की कुंडली में चंद्र खराब अवस्था में हो या उसकी दशा चल रही हो, तो इस दिन की गई पूजा से राहत मिलती है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना से जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। इस दिन गंगा स्नान करने का भी विशेष महत्व है, जो पापों से मुक्ति दिलाता है और आध्यात्मिक ऊर्जा को जाग्रत करता है
विवाहित महिलाओं के लिए क्यों खास है यह दिन?
विवाहित महिलाएं इस दिन वट वृक्ष की पूजा करती हैं ताकि उनके वैवाहिक जीवन में प्रेम और सौभाग्य बना रहे। इस व्रत से सास-ससुर के साथ संबंध भी मधुर होते हैं और घर में खुशियों का वातावरण बना रहता है
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर क्या करें और क्या न करें
- शाम के समय घर में दीया जलाकर रखें। यदि घर में अंधकार राहत है तो माता लक्ष्मी घर में प्रवेश नहीं करतीं।
- काले कपड़े पहनने से बचें क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा दे सकता है।
- पूजा और दान में काले वस्त्र या काले सामान का प्रयोग न करें ताकि राहु ग्रह की नकारात्मकता से बचा जा सके और चंद्रमा का प्रभाव शुभ बना रहे