हिंदू धर्म में पूजन के बाद आरती करने का प्रावधान है। प्रत्येक देवी-देवता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए आरती की जाती है। चाहें किसी भी देवी -देवता का पूजन किया जाए बिना आरती के वह अधूरा माना जाता है। शास्त्रों में आरती करने का विशेष महत्व बताया गया है। स्कंद पुराण के अनुसार भगवान विष्णु कहते हैं कि जो मनुष्य बत्तियों से युक्त घी से भरे दीपक को प्रज्वलित करता है और आरती उतारता है वह कोटि कल्पों तक स्वर्गलोक में निवास करता है। जो मनुष्य मेरे समक्ष आरती करता या आरती दर्शन करता है उसे परम पद की प्राप्ति होती है। प्रत्येक देवी-देवता के लिए अलग आरती गाई जाती है। मां लक्ष्मी धन की देवी हैं उन्हीं की कृपा से मनुष्य को धन-वैभव की प्राप्ति होती है। मां महालक्ष्मी के पूजन के बाद उनकी आरती अवश्य करनी चाहिए। तो चलिए जानते हैं मां लक्ष्मी की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत
मैया जी को निशदिन सेवत
हरि विष्णु विधाता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
उमा रमा ब्रह्माणी तुम ही जगमाता
मैया तुम ही जगमाता
सूर्य चन्द्रमा ध्यावत
नारद ऋषि गाता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
दुर्गा रूप निरंजनी सुख सम्पत्ति दाता
मैया सुख सम्पत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्यावत
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
तुम पाताल निवासिनि तुम ही शुभदाता
मैया तुम ही शुभदाता
कर्मप्रभावप्रकाशिनी
भवनिधि की त्राता

।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
जिस घर में तुम रहती सब सद्गुण आता
मैया सब सद्गुण आता
सब सम्भव हो जाता
मन नहीं घबराता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
तुम बिन यज्ञ न होते वस्त्र न कोई पाता
मैया वस्त्र न कोई पाता
खान पान का वैभव
सब तुमसे आता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
शुभ गुण मन्दिर सुन्दर क्षीरोदधि जाता
मैया सुन्दर क्षीरोदधि जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
महालक्ष्मीजी की आरती जो कोई नर गाता
मैया जो कोई नर गाता
उर आनन्द समाता पाप उतर जाता
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत
हरि विष्णु विधाता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
।। मैया जय लक्ष्मी माता।।
मां महालक्ष्मी की जय