पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों को खुश करने के लिए कुछ खास उपाय बताए गए हैं, जिनकी मदद से आप अपने पिरतों को संतुष्ट कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। आइए जानते हैं पितृ पक्ष में किए जाने वाले दस उपाय |
हर साल लोग पितृ पक्ष के दौरान अपने पितरों का तर्पण आदि कर उन्हें संतुष्ट करने का प्रयास करते हैं। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद बना रहता है। साथ ही जीवन की कठिनाइयां कम हो जाती हैं। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष को बहुत महत्व दिया गया है। इस साल पितृपक्ष 17 सितम्बर से आरम्भ हो रहा है और 2 अक्टूबर को इसका समापन हो जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, 17 सितम्बर को ऋषि-मुनियों के नाम से तर्पण किया जाता है। वहीं 18 सितम्बर से पिंडदान, ब्राह्मण भोजन, तर्पण, दान जैसे कार्य किए जाएंगे |
इस दौरान यदि आप अपने पूर्वजों को खुश करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको पितृ पक्ष के दौरान कुछ खास उपाय करने चाहिए। इन उपायों की मदद से आप पितरों को संतुष्ट कर सकते हैं। साथ ही इन उपायों को करने से पितृ दोष से भी मुल्कि मिल जाती है |
- पितृ पक्ष के दौरान श्रद्धा पूर्वक तर्पण और पिंडदान आदि करने से पितृ प्रसन्न होते हैं।
- श्राद्ध पक्ष में पंचबलि कर्म अर्थात देव, पीपल, गाय, कुत्ते और कौवे को अन्न जल अर्पित करने से पितृ देव प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा चीटीं और मछलियों को भी अन्न खिलाना चाहिए।
- श्राद्ध पक्ष में 10 तरह के दान दिए जाते हैं। इसमें- जूते-चप्पल, वस्त्र, छाता, काला तिल, घी, गुड़, धान्य, नमक, चांदी-स्वर्ण, गौ-भूमि। आप चाहे तो केवल आटा, नमक, गुड़, घी और शक्कर का दान भी कर सकते हैं।
- पितृ पक्ष के दौरान ब्राह्मण भोज भी कराना चाहिए। इस दिन पेट भर भोजन कराकर उन्हें दक्षिणा दी जाती है।
- पितृ पक्ष के दौरान प्रतिदिन अपने द्वारा पर पितरों के नाम का एक दीपक जरूर जालाना चाहिए। आप यह दिया दक्षिण दिशा में पितरों के निमित्त 2, 5, 11 या 16 दीपक जला सकते हैं। यह दिया गैलरी में भी जलाए जा सकते हैं। इसके अलावा प्रतिदिन पीपल के पेड़ के पास भी दीपक जला सकते हैं।
- इस दौरान पितृसुक्त या गीता का पाठ करें। श्राद्ध पक्ष में 16 दिन तक गीता का पाठ करना शुभ माना जाता है। आप चाहे तो संपूर्ण गीता का पाठ करके भी पितरों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। पितरों को मुक्ति प्रदान का मार्ग दिखाने के लिए गीता के दूसरे और सातवें अध्याय का पाठ करें।
- गुड़ घी को मिलाकर सुगंधित धूप दिखाएं और जब तक यह जले तब तक ‘ॐ पितृदेवताभ्यो नम’: का जप करते रहें और इसी मंत्र से आहुति भी दें।
- पितृ पक्ष के दौरान भगवान विष्णु सहित इन दिव्य पितरों की भी पूजा करनी चाहिए। जैसे यमराज, सोम, काव्यवाडनल, अर्यमा, अग्निष्व, बहिर्पद, चित्रगुप्तजी, सोमसद, अग्रिष्वात्त, सोमेप, रश्मिप, बहिर्पद आज्यप, उपदूत, श्राद्धभुक, आयन्तुन व नान्दीमुख, आदित्य, वसु, रुद्र तथा दोनों अश्विनी कुमार आदि।
- सर्वपितृ अमावस्या के दिन और्ध्वदैहिक संस्कार, पिण्डदान, तर्पण, सपिण्डीकरण, अशौचादि निर्णय, श्राद्ध, एकादशाह, कर्म विपाक आदि कर्मों के द्वारा पापों के विधान का प्रायश्चित के बारे में बताया गया है।
- इसके साथ ही एक उपाय यह है कि परिवार के सभी सदस्यों से बराबर मात्रा में सिक्के लेकर करके उन्हें मंदिर में दान करें।