शनि जयंती हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे विशेष रूप से शनि देव के जन्म की खुशी में मनाया जाता है। । शनि देव को न्याय का देवता माना गया है और उनकी पूजा से न केवल शनि के दोष शांत होते हैं, बल्कि जीवन में स्थिरता और समृद्धि भी आती है
शनि जयंती हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे विशेष रूप से शनि देव के जन्म की खुशी में मनाया जाता है। शनि देव को न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भक्त विशेष उपाय करते हैं। प्रत्येक वर्ष यह उत्सव ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से शनि देव की पूजा और व्रत करने से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है
माना जाता है कि शनि देव अपने कर्मों के अनुसार लोगों को शुभ और अशुभ फल प्रदान करते हैं, इसलिए यह दिन उनके आशीर्वाद के लिए खास रूप से मनाया जाता है। शनि देव को न्याय का देवता माना गया है और उनकी पूजा से न केवल शनि के दोष शांत होते हैं, बल्कि जीवन में स्थिरता और समृद्धि भी आती है
इस दिन की पूजा से विशेष रूप से साढ़ेसाती और ढैय्या के कष्टों से मुक्ति मिल सकती है। शनि देव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से शनि मंदिरों में पूजा-अर्चना की जाती है। भक्त शनि देव को तेल अर्पित करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं। इसके अलावा, इस दिन विशेष उपायों को अपनाकर शनि देव की कृपा प्राप्त की जा सकती है, जो जीवन में खुशहाली और सफलता लाती है

शनि जयंती तिथि और समय
पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि प्रारंभ: 26 मई , सोमवार, दोपहर 12:11 मिनट पर
ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि समाप्त: 27 मई , मंगलवार, रात्रि 8: 31 मिनट पर
उदयातिथि के अनुसार शनि जयंती 27 मई 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी
शनि जयंती का धार्मिक महत्व
शनि जयंती वह पावन तिथि है जब न्याय के देवता शनि महाराज का जन्म हुआ था। पुराणों के अनुसार, शनि देव का जन्म ज्येष्ठ माह की अमावस्या को हुआ था, और इसलिए इस दिन को शनि अमावस्या भी कहा जाता है। भगवान शनि, सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं। उन्हें नवग्रहों में एक विशेष स्थान प्राप्त है क्योंकि वे कर्मों के अनुसार फल देने वाले देवता माने जाते हैं। अच्छे कर्म हों या बुरे, शनि देव कभी पक्षपात नहीं करते।
उत्तर भारत में शनि जयंती हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या को मनाई जाती है, जबकि दक्षिण भारत में इसे वैशाख माह की अमावस्या को मनाया जाता है, क्योंकि वहां का पंचांग अमावस्यांत मास प्रणाली पर आधारित होता है। इस दिन, श्रद्धालु शनि मंदिरों में जाकर तेल चढ़ाते हैं, दीप जलाते हैं और शनि देव का स्मरण कर उनसे दोषों से मुक्ति और कृपा की प्रार्थना करते हैं। यह मान्यता है कि सच्चे मन से पूजा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और जीवन के कष्ट धीरे-धीरे समाप्त हो जाते हैं
शनि जयंती 2025 पर क्या करें?
- शनि जयंती के दिन शनि देव को प्रसन्न करने के लिए कई ऐसे उपाय बताए गए हैं, जो न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्व रखते हैं, बल्कि जीवन में सकारात्मक परिवर्तन भी ला सकते हैं। इस दिन काले तिल, काले चने, काले वस्त्र और सरसों के तेल का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसा करने से शनि की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली अड़चनें दूर होती हैं। काले रंग की ये वस्तुएं शनि देव के प्रिय मानी जाती हैं और इनका दान उनके कोप को शांत करता है
शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना भी एक अत्यंत प्रभावशाली उपाय माना गया है। यह दीपक न केवल वातावरण को शुद्ध करता है, बल्कि व्यक्ति के चारों ओर की नकारात्मक ऊर्जा को भी दूर करता है। मान्यता है कि पीपल में शनि देव का वास होता है, और इस दिन उनके चरणों में दीपक जलाने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं
शनि जयंती के दिन शनि स्तोत्र, शनि चालीसा या हनुमान चालीसा का पाठ करने से भी विशेष लाभ मिलता है। हनुमान जी को शनि देव का भक्त माना जाता है और उनके स्मरण मात्र से शनि के सभी दोष शांत हो जाते हैं। जो भी व्यक्ति इस दिन श्रद्धा और भक्ति भाव से इन पाठों का जप करता है, उसे मानसिक शांति, आत्मबल और शारीरिक ऊर्जा की प्राप्ति होती है
इस दिन खासतौर पर अपने आचरण को शुद्ध रखें और किसी ज़रूरतमंद, गरीब या पीड़ित व्यक्ति की मदद करें। चाहे वह अन्न हो, वस्त्र हो या कुछ समय, आपकी छोटी-सी मदद शनि देव की विशेष कृपा का माध्यम बन सकती है