अमावस्या पर क्या खास करें पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए 2024.
जिन्होंने जीते जी उनकी सेवा की होती है उन्हें कुछ करने की जरूरत नहीं होती है क्योंकि जब उनकी आत्मा शरीर छोड़ती है उसे कोई दुख नहीं होता उनका आशीर्वाद हमेशा आपके साथ होता है पर जो अपने बुजुर्ग की सेवा तो दूर पानी तक नहीं पहुंचे और ऊपर से शारीरिक चोट भी पहुंचते हैं जैसे धक्का दियासारी पूजा पाठ जो भी विद्या या शास्त्र में बताई गई कुछमहत्वपूर्ण बातें सब करनी पड़ेगीना और कोई नुकसान ना हमको पहुंचा दे अन्य था वह बेचारे तो अपने परिवार को फलता फूलता देखकर फिर से नहीं रहेंगे|
अमावस्या महीने में एक बार आती है इस दिन हम पितरों को खुश करने के लिए दान इत्यादि कर सकते हैं अगर आप पितरों को आशीर्वाद अपने साथहै तो हम जीवन में तरक्की प्राप्त कर सकते और कितने भी कठिन से कठिन काम क्यों ना हो हम उसमें सफल जरूर होते हैंसबसे पहले|
हमें प्रातः काल उठकर नहा धोकर सूर्य भगवान को जल अर्पित करें
उसके बाद अपने पितरों की फोटो के आगे खड़े हो उन्हें माता देखना चाहिए और उनसे आशीर्वाद प्राप्त के लिए मन ही मन यह है प्रार्थना करनी चाहिए कि हमसे जो भी भूल गई हो उन्हें माफ करें और अपना कृपा रूपी हाथ हम पर बनाए रखें
इस दिन गरीबों को कुड़ियों की खीर पूरी हलवा इत्यादि बनकर भोजन भी कर सकते हैं धन के रूप में उन्हें धन वस्त्र खाना अपने श्रद्धा के अनुसार आप दे सकते हैं
दूध चीनी चावल आदि का दान करना भी इस दिन बहुत शुभ अच्छा होता है
पूजन में क्या करना चाहिए पितरों की प्रसन्नता के लिए
श्रीमद् भागवत गीता मेंश्री कृष्णा कहा है जो पितरों की पूछते हैं उन्हें पितृ लोग प्राप्त होता है पितृ लोक से जन्म मरण से मुक्ति नहीं बल्कि फिर से जन्म लेकर इस माया लोग के कार्यपूर्ण करने होते हैं यह एक तरह से आत्माओं का वह लोक या समूह है जो संस्कृति और दुख में रचित रचित है शायद इसलिए पितरों को परिवार विशेष की वृद्धि हाथ को सप्ताह भूमि धन्य आदि में विशेषण रुचि होती है यह बंधन तो एक जन्म से बढ़कर आत्माओं का एक परिवार या गोत्र से जोड़े रखता है इसलिए पितरों की अनुकंपा संस्कृत रूप से एक तरफ जाल भोग विलास के लिए अच्छी मानी जाती है वहां ही दूसरी तरफ मुक्ति से दूर आत्मा को एक परिवार से बांध देती है आपको पितरों की अनुकंपा किस उद्देश्य चाहिए वह आप जाने|
उनको खीर अर्पित करनी चाहिए गाय के गोबर का बना हुआ कांड ले पहले पितरों को पानी दे फिर अपने पितृ देव और पितृ माता का हवन करें और करने को जलाकर उसमें खीर डालकर पितरों को अर्पित करें इसके बाद पितरों से प्रार्थना करें आज अधिकांशकोपितृदोष की समस्या
नाराज पितरों को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए क्या करें
पितृ आपसे नाराज नहीं है हर कोई अपने कर्मों के लिए जिम्मेदार है और उसके फल को भोगने के लिए भी अकेला ही बंधु है पितरों या किसी को भी शांति मुक्ति प्रदान करने का एक क्या उपाय स्वस्थ मार्ग पर चला जाए तब से अर्जित पुण्य को संकल्प द्वारा उन्हें दान किया जाए जिससे उन्हें अपने पाप कर्मों से मुक्ति मिल सकेया किसी को भी शांति
प्राचीन काल में एक बड़े राजा हुए अतः समय आने पर अत्यधिक पुण्य कर्म के कारण मिश्रित हुआ लेकिन कुछ थोड़े पाप के कारण उन्हें पहले नरक के दर्शन करवाने का विधानसभा के देश के कारण नरक के सभी प्रधारण प्रदान करने वाले शांत हो गए वहां सभी की बड़ी शांति का अनुभव हुआ सब कहने लगे यह कौन है जिसके आने से हमें बड़ी शांति मिली हैवह दयालु राजा वही बैठ गए दूध में विनती की यह राजन आपको हमारे साथ सभी लोक प्रस्थान करना हो आप यहां नहीं बैठ सकते राजा ने कहा कि कारण मेरा स्वर्ण गण हो रहा है
उत्तर मिला आपका सत्कर्मों से अर्जित होने के कारण आ जाना तुरंत संकल्प लिया मेरा सभी पूर्ण नरक वीडियो को लग जाए तत्काल सभी मुक्त हो गए दूध ने फिर कहा चली राजन अब तो स्वर्ग चले साजन ने पूछा आप कैसे मैं तो अपने सभी फोन में बंद कर दिए मृत्युदंड गंभीर स्वर में कहा आपने अभी जो यह महादान किया उससे जो पूर्ण पूजा अजीत हुआ उसे भोग ने सारांश यही है हम सन्मार्ग अपने ऐसा सटाकर्म करें मन को इंद्र की पूर्ति से हटाए और समझती का अनुसरण करें अपनी अटारियात्मक की आवाज सुनते हुए परात्मक जीवन जीए बस इसलिए एक उपाय से हम अपने सभी पूर्वजऑन को मुक्ति प्रदान कर सकते हैं जो निष्काम परोपकारी है वही दूसरों की मदद करने में समर्थ है फिर चाहे वह यह लोग हो या पर लोग शुरू में एक परवाज ही था जिसमें संकल्प द्वारा अपने को अनेक में विभक्त किया इसलिए इसे भी हमारे ही पूर्वज है यह बात संदीप ध्यान में रखनी चाहिए गायत्री महामंत्र को नियमित रूप से जाते और उसे परमात्मा के चरणों में अर्पित कर दे जिससे जरूरतमंदों का भला हो सके
पितरों को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद कैसे प्रदान करें
चित्र हमारे पूर्वज है वह अपने बच्चों से कभी नाराज नहीं होते तथा आशीर्वाद पाने के लिए हमें आवश्यक श्रद्धासुमन अर्पित करने ही चाहिए शास्त्र में अनेकों प्रकार की विधि विधान बताए गया जिससे पितरों को प्रशंसा सुख मिलती है तथा उनका आशीर्वाद हम आसानी से प्राप्त कर सकते हैं गरुड़ पुराण में मित्रों को नियमित श्रद्धा पर पिंडदान विभिन्न प्रकार के विधान बताए गए हैं मेरा आध्यात्मिक गुरु जी के अनुसार प्रत्येक अमावस्या को पितरों के निर्माता श्रद्धा पूर्वक रुचिकृत चित्र स्रोत या पितृ सूतक का पाठ करना अति विशिष्ट होता हैपितरों को प्रसन्नता मिलती है तथा उनकी कृपा प्राप्त होती है पितरों के निर्माता गायत्री मंत्र महामृत्युंजय मंत्र जाप रुद्र सूक्त श्रीमद् भागवत गीता पाठ विष्णु मंत्र ओम नमो पुत्र देवाय नमः मंत्र जब श्रद्धा पूजा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है नृत्य ईश्वर देव कुल देवता कुलदेवी पितरों का नमन दक्षिण दिशा की मुख्य ध्यान पूरा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है पितृपक्ष में पितरों के नियमित साथ ब्रह्मा भोजन का गिलास गांव प्रदान करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है
पितरों की प्रसन्नता के लिए अनुभूत उपाय करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है
चित्र हमारे पूर्वज है वह अपने बच्चों से कभी नाराज नहीं होते तथा आशीर्वाद पाने के लिए हमें आवश्यक श्रद्धासुमन अर्पित करने ही चाहिए शास्त्र में अनेकों प्रकार की विधि विधान बताए गया
जिससे पितरों को प्रशंसा सुख मिलती है तथा उनका आशीर्वाद हम आसानी से प्राप्त कर सकते हैं गरुड़ पुराण में मित्रों को नियमित श्रद्धा पर पिंडदान विभिन्न प्रकार के विधान बताए गए हैं
मेरा आध्यात्मिक गुरु जी के अनुसार प्रत्येक अमावस्या को पितरों के निर्माता श्रद्धा पूर्वक रुचिकृत चित्र स्रोत या पितृ सूतक का पाठ करना अति विशिष्ट होता हैपितरों को प्रसन्नता मिलती है
तथा उनकी कृपा प्राप्त होती है पितरों के निर्माता गायत्री मंत्र महामृत्युंजय मंत्र जाप रुद्र सूक्त श्रीमद् भागवत गीता पाठ विष्णु मंत्र ओम नमो पुत्र देवाय नमः मंत्र जब श्रद्धा पूजा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है
नृत्य ईश्वर देव कुल देवता कुलदेवी पितरों का नमन दक्षिण दिशा की मुख्य ध्यान पूरा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है पितृपक्ष में पितरों के नियमित साथ ब्रह्मा भोजन का गिलास गांव प्रदान करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है पितरों की प्रसन्नता के लिए निम्न अनुभूत उपाय करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है|
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