जीवन का सार
हृदय में फूल खिला हो तो दुनिया सुंदर लगती है
एक बार एक व्यक्ति काफी समय से बेरोजगार था फिर एक दिन उसे नौकरी के लिए साक्षात्कार है तो बुलावा आया जब उसे वह नौकरी नहीं मिली तो निराश होगा वह एकांत स्थान पर सच में डूबा बैठा हुआ था तभी किसी ने उसका गंदा थप थप आया पलट कर देखा तो उसे धूप का चश्मा पहने एक बच्चे अपने सामने खड़ा की एकांत भाग होने पर वह उसे डांटना वाला था परंतु छिप गयाउसने इतना ही पूछा कि क्या बात है
बच्चे ने उसे एक मुरझाया फूल देते हुएकहा सुंदर फूल को देखा उसने बेईमान इतना ही कहा हां सुंदर है बच्चे ने कहा यह सिर्फ देखने में ही सुंदर नहीं इसकी सुमन भी बहुत अच्छी है अब तो उसे सचमुच क्रोध आ गया उसमें सोचा यह बच्चा पागल तो नहीं इस बात से फूल लेकर यह क्यों मेरे पीछे पड़ा है
उससे तंग आकर कहांतुम ठीक कह रहे हो यह सुंदर में संबंधित फूल है अब उसे व्यक्ति को थोड़ा बेहतर लगा शांति का अनुभव हुआ बच्चे का धन्यवाद करके वह क्ष क्षितिज में टाकने लगा तभी उसने धरती पर कुछ महसूस मुड़कर देखा तो वही बच्चा छड़ी लेकर खड़ा था अचानक उसे बौद्ध हुआ कि बच्चा दृष्टि बंदी थे
उसे छड उसे अनुभवआ कि उसने हाथ में जो फूल पड़ा था वह वास्तव में विश्व का सबसे बच्चों को जाकर गले से लगा लिया और होकर में कोई सामान्य फूल नहींहै वह बोले जो तुम्हारी हृदय में जिसे निर्मलता पर उसे व्यक्ति की दृष्टि पड़ी थी वह उसे बच्चों की थी जो फूल में पृथ्वी में हो रही थी नौकरी न मिलने के काल में इतना उदासहु रहा था कि उसने मन में जीवन का अंत्य करने का विचार भी आया है और यह बच्चा दोनों आंखें खोल कर भी न केवल खुश था
अभी तू दूसरों में भी खुशियां बांट रहा था दूसरों की समस्याओं की तुलना में हमारी समस्याएं तू छोटी आता है हमें अपने वर्तमान को स्वीकारते हुए खुशी-खुशी जीवन बिताना चाहिए भाषा में देखा जाए तो हमारे विचार ही तो हमारी खुशी की रात में बांदा बनाकर अरोड़ा अटकत हैं हमें स्वयं को भूलकर दूसरों के सहायक होने से रोकते हैं प्रत्येक वस्तु पर अपनी सट्टा जमाने सेइच्छा से हम इतने अभी भूत खोए रहते हैं की खुशी क्या है हम जान नहीं सकते
हृदय में प्रेम हो तो एक दृष्टि बांधी थी इंसान भी मार्गदर्शक हो सकता है परंतु जिसका हृदय ही अंधा हो चुका है उसे र दिखलाना बहुत कठिन कार्य अहंकार का आधार तो हमें एक टेकने में कैद कर देता है अज्ञान वर्ष हम जाते हुए भी सोए हैं इस अहंकार पर विजय का ले तो हम स्वाभाविक ही विश्व के लिए अर्पित हो जाएंगे